बैंक निफ्टी ऑप्शन चैन, ट्रेडर्स को प्रत्येक स्ट्राइक प्राइस की लिक्विडिटी और डेप्थ का मूल्यांकन करने में मदद करती है। जानते हैं- एनएसई बैंक निफ्टी ऑप्शन चैन समझो और करो स्मार्ट ट्रेडिंग। NSE Bank Nifty Option Chain in Hindi.
यदि आप ऑप्शन ट्रेडिंग के एक्सपर्ट बनना चाहते हैं। तो आपको ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसों का पेड़ कैसे लगाएं बुक जरूर पढ़नी चाहिए।
बैंक निफ्टी ऑप्शन चैन (NSE Bank Nifty Option Chain)
क्या आपने कभी सोचा है कि बड़े ट्रेडर्स, FIIs और DIIs आखिर मार्केट की दिशा (Market Trend) कैसे पकड़ लेते हैं? इसका राज़ छिपा है Option Chain Analysis में। खासकर Bank Nifty Option Chain ट्रेडर्स को ये समझने में मदद करता है कि मार्केट किस तरफ़ जा सकता है। बुलिश (Bullish), बेयरिश (Bearish) या साइडवेज़ (Sideways)।
Option Chain दरअसल एक टेबल की तरह होती है, जिसमें किसी Index या Stock के सभी Call (CE) और Put (PE) Options एक ही जगह दिखाए जाते हैं। इसे देखकर आप जान सकते हैं कि किस Strike Price पर सबसे ज्यादा Open Interest (OI) जमा है और कहां से मार्केट का Support या Resistance बन सकता है।
जब हम NSE Bank Nifty Option Chain की बात करते हैं। तब इसका मतलब होता है, Bank Nifty Index के सभी Call और Put Options का डेटा एक ही जगह।
बैंक निफ्टी ऑप्शन चैन केवल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के प्राइस को बताने के बारे में नहीं है। बल्कि यह बिड और आस्क प्राइस को भी कैप्चर करती है। जिससे ऑप्शन की वास्तविक डेप्थ का भी पता चलता है।
यदि आप एनएसई की वेबसाइट पर निफ्टी की स्क्रीन ओपन करेंगे। तो उसके टॉप पर आपको बैंक निफ्टी का लिंक मिल जायेगा। यह ऑप्शन चैन आपको अपने ट्रेडिंग अकाउंट में भी मिल जाएगी। लेकिन एनएसई बैंक निफ्टी ऑप्शन चैन एनएसई की वेबसाइट पर वास्तविक समय के आधार पर सभी लोगों के लिए उपलब्ध है।
बैंक निफ्टी ऑप्शन चैन वास्तव में क्या है? इसके एक ही फ्रेम में बैंक निफ्टी के सभी स्ट्राइक प्राइस से संबंधित पूरी तस्वीर पेश की होती है। कहने का मतलब है कि Bank Nifty option chain की शेप एक फोटो फ्रेम की त्तरह होती है। जिसमे बैंक निफ्टी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स की सम्पूर्ण जानकारी दी होती है। यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि जैसे बैंक निफ्टी के लिए एक ऑप्शन चैन होती है।
उसी तरह F&O में कारोबार करने के लिए सभी प्रमुख इंडेक्सों जैसे निफ्टी, फिननिफ्टी आदि की ऑप्शन चैन भी होती हैं। जिन शेयरों के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग की अनुमति होती है। उन शेयरों की भी अलग-अलग ऑप्शन चैन NSE और BSE की वेबसाइट पर उपलब्ध होती हैं।
कोई भी option chain आपके लिए तभी प्रसांगिक हो सकती है जब उसमें पर्याप्त लिक्विडिटी हो। लिक्विडिटी के बिना आप ऑप्शंस को जब आप चाहें तब खरीद और बेच नहीं पाएंगे। इसलिए ऑप्शंस में लिक्विडिटी यानि वॉल्यूम का अधिक होना बहुत जरूरी है। अतः कम वॉल्यूम वाले अंडरलाइंग एसेट और स्ट्राइक प्राइस में आपको ट्रेडिंग पोजीशन बनाने से बचना चाहिए।
एनएसई की वेबसाइट पर बैंक निफ्टी ऑप्शन चैन के मध्य में स्ट्राइक प्राइस दी होती है। CALLS से सम्बन्धित सभी डेटा लेफ्ट साइड में लिखा होता है। और PUTTS से सम्बन्धित सभी डेटा राइट साइड में लिखा होता है। Option Chain का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको इसमें सभी स्ट्राइक प्राइस के महत्वपूर्ण डेटा पॉइंट्स एक ही बार में मिल जाते हैं।
इस तरह के डेटा पॉइंट्स में मूल्य परिवर्तन, वॉल्यूम परिवर्तन, IV परिवर्तन, ओपन इंटरेस्ट परिवर्तन, संचय, अनवाइंडिंग आदि का डेटा शामिल होता हैं। किसी भी ट्रेडर्स के द्वारा फटाफट यह जानने के लिए कि किस स्ट्राइक प्राइस में accumulation build up हो रहा है और किस स्ट्राइक प्राइस के ओपन इंट्रेस्ट में कमी आयी है।
वह एनएसई की ऑप्शन चैन से यह जानकारी प्राप्त कर सकता है। NSE Bank Nifty option Chain में, सभी इन-द-मनी (आईटीएम) स्ट्राइक को पीले रंग में रंगा गया है। और ओटीएम को नॉर्मल सफेद रंग में रहने दिया गया है। रंग बैंक निफ्टी ऑप्शंस के मार्केट प्राइस और बैंक निफ्टी के हाजिर मूल्य में बदलाव के साथ बदलता रहता है।
NSE Bank Nifty Option Chain क्यों पढ़ना को जरूरी है?
- Trend Prediction: यह बताता है कि मार्केट ऊपर जाएगा या नीचे।
- Support & Resistance: किन Levels पर Buyers और Sellers Active हैं।
- Smart Money Tracking: बड़े संस्थागत निवेशक (FIIs/DIIs) कहां Position बना रहे हैं।
- Trade Planning: किस Strike Price पर Entry और Exit करना बेहतर रहेगा।
- Risk Management: गलत ट्रेड से बचने में मदद करता है।
NSE Bank Nifty option Chain को कैसे पढ़ें?
Option Chain पढ़ना हर Beginner को मुश्किल लगता है, लेकिन सही तरीके से देखें तो यह आसान है। कुछ निम्नलिखित घटक हैं, जिनकी मदद से आप बैंक निफ्टी ऑप्शन चैन को आसानी से पढ़ सकते हैं।
कॉल ऑप्शन: ऑप्शन का मतलब, एक ऐसा ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट जो अंडरलेइंग एसेट की एक निश्चित संख्या को, एक निश्चित प्राइस पर, एक्सपायरी से पहले खरीदने का अधिकार देता है। लेकिन दायित्व नहीं देता है।
पुट ऑप्शन: का मतलब, एक ऐसा ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट जो अंडरलेइंग एसेट की एक निश्चित संख्या को, एक्सपायरी से पहले एक निश्चित प्राइस पर बेचने का अधिकार देता है। लेकिन दायित्व नहीं देता है।
स्ट्राइक प्राइस: किसी ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस वह निश्चित प्राइस होता है। जिस पर ऑप्शन का मालिक अंडरलाइंग एसेट को खरीद और बेच सकता है। स्ट्राइक प्राइस को इंडेक्स या स्टॉक के स्पॉट प्राइस के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। जब ऑप्शन का प्रीमियम स्ट्राइक प्राइस से आगे चला जाता है। तो ऑप्शन पोजीशन प्रॉफिट में कन्वर्ट हो जाती है।
एट-द-मनी या एटीएम: एट द मनी' ऑप्शन वह ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट होता है, जिसका स्ट्राइक प्राइस, स्पॉट प्राइस के सबसे करीब होता है। चाहे स्ट्राइक प्राइस, स्पॉट प्राइस के सबसे पास हो तो भी उसे एट द मनी (ATM) ऑप्शन माना जायेगा।
जैसे निफ्टी का स्पॉट प्राइस 17575 है और निफ्टी ऑप्शन का सबसे पास का स्ट्राइक प्राइस 17600 है। तो इसकी इन्ट्रिंसिक वैल्यू 17800 - 17775 = 25 रूपये हुई। लेकिन इसे ATM ऑप्शन ही माना जायेगा। एट द मनी' ऑप्शन में इन द मनी और आउट ऑफ द मनी की तुलना में कम प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है।
जबकि इस ऑप्शन में प्रॉफिट कमाने की संभवना ज्यादा रहती है। क्योंकि इसमें केवल टाइम वैल्यू होता है तथा इन्ट्रिंसिक वैल्यू नही होती या ना के बराबर होती है।
इन-द-मनी या आईटीएम: यदि ऑप्शन की इन्ट्रिंसिक वैल्यू होती है, तो उसे इन द मनी (आईटीएम) ऑप्शन कहा जाता है। आईटीएम में कॉल ऑप्शन का स्पॉट प्राइस, स्ट्राइक प्राइस से अधिक होता है। ITM में पुट ऑप्शन का स्पॉट प्राइस, स्ट्राइक प्राइस से कम होता है।
यदि निफ्टी का स्पॉट प्राइस 17600 है और आप 17400 की स्ट्राइक प्राइस का कॉल ऑप्शन खरीदना चाहते हैं तो इसकी इन्ट्रिंसिक वैल्यू 17600 - 17400 = 200 होगी। चूँकि इस ऑप्शन की इन्ट्रिंसिक वैल्यू है तो यह IN the Money कॉल ऑप्शन माना जायेगा।
आईटीएम ऑप्शंस के लिए प्रीमियम आमतौर पर ओटीएम और एटीएम की तुलना में अधिक होता है। हाँलाकि इसमें प्रॉफिट कमाने की संभावना अधिक होतीं है। क्योंकि इसके प्रीमियम में इन्ट्रिंसिक वैल्यू और टाइम वैल्यू दोनों शामिल होती हैं।
आउट-ऑफ-द-मनी या ओटीएम: जिस ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट की इन्ट्रिंसिक वैल्यू जीरो होती है, उसे आउट-ऑफ़-द-मनी ऑप्शन कहा जाता है। OTM में कॉल ऑप्शन का स्पॉट प्राइस, स्ट्राइक प्राइस से ज्यादा होता है। OTM पुट ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस, स्पॉट प्राइस से कम होता है।
17600 स्ट्राइक प्राइस को ध्यान में रखते हुए, अगर 17800 का स्ट्राइक प्राइस होता है तो इसकी इन्ट्रिंसिक वैल्यू 17600 - 17800 = - 200 रूपये होगी। नेगेटिव इन्ट्रिंसिक वैल्यू को जीरो माना जाता है।
जीरो इन्ट्रिंसिक वैल्यू वाला ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट एक Out of the Money ऑप्शन है। ITM की तुलना में OTM ऑप्शन सस्ते होते हैं। क्योंकि टाइम वैल्यू का ही प्रीमियम देना होता है। यदि आप कॉल ऑप्शन खरीदते हैं तो आपको OTM ऑप्शन चुनना चाहिए। क्योंकि यह सस्ता होता है।
ओपन इंट्रेस्ट (OI): ट्रेडिंग सेशन के दौरान या बंद होने के बाद खड़े F&O के सौदों (जिन्हे सेटल नहीं किया गया है) की कुल संख्या को ओपन इंटरेस्ट कहा जाता है। ओपन इंट्रेस्ट प्रत्येक खुले सौदे का रिकॉर्ड रखता है। सौदे की कुल मात्रा का रिकॉर्ड ओपन इंटरेस्ट नहीं रखता है।
चेंज इन ओपन इंट्रेस्ट: ओपन इंट्रेस्ट में बदलाव एक्सपायरी डेट से पहले ओपन इंटरेस्ट में हुए सभी महत्वपूर्ण परिवर्तनों को दर्शाता है। OI में महत्वपूर्ण अंतर यह दर्शाता है। कि या तो ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट क्लोज कर दिए गए हैं या एक्सरसाइज कर किए गए हैं, या स्क्वायर ऑफ कर दिए गए हैं।
इम्प्लॉइड वोलेटिलिटी या IV: इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी अंडरलाइंग एसेट की सप्लाई एंड डिमांड से प्रभावित होती है। इसके साथ ही शेयर प्राइस के मार्केट की अपेक्षाएं भी इसे प्रभावित करती हैं। जैसे-जैसे ऑप्शन की डिमांड बढ़ती है उसकी इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी भी बढ़ती है।
ऑप्शन चैन में इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी जिसे IV भी कहा जाता है। यह अंडरलेइंग एसेट के प्राइस में भविष्य में होने वाली वोलैटिलिटी की संभावना को दर्शाता है। जैसा कि Option Chain में दिए गए ऑप्शन प्रीमियम के प्राइस से पता भी चलता है।
वॉल्यूम: वॉल्यूम ट्रेडर्स की रुचि और बाजार के भीतर कारोबार किए गए एक विशिष्ट मूल्य के लिए एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स की कुल संख्या को दर्शाता है। वॉल्यूम की गणना प्रतिदिन की जाती है और इससे ऑप्शन ट्रेडर्स की वर्तमान रुचि को समझने में भी मदद मिल सकती है।
लास्ट ट्रेड प्राइस या LTP: किसी भी ऑप्शन के लास्ट ट्रेड प्राइस या LTP का अर्थ है, अंतिम खरीद मूल्य।
Bid Price (दाम लगाना): Bid टर्म का उपयोग उस हाईएस्ट प्राइस को संदर्भित करता है। जो खरीदार किसी भी समय किसी अंडरलेइंग एसेट की एक निर्दिष्ट संख्या खरीदने के लिए भुगतान करेगा। आस्क शब्द उस न्यूनतम कीमत को संदर्भित करता है जिस पर विक्रेता अंडरलेइंग एसेट को बेचन चाहता है।
Bid Quantity (बोली की मात्रा): बिड क्वांटिटी एक विशेष स्ट्राइक मूल्य के लिए बुक किए गए खरीद ऑर्डर की कुल संख्या को बताता है। हालाँकि, यह आपको किसी ऑप्शन के स्ट्राइक प्राइस की मौजूदा मांग के बारे में बताता है।
Ask Price (मूल्य पूछना): आस्क प्राइस का तात्पर्य उस कीमत से है जिस पर ट्रेडर्स अंडरलेइंग एसेट को बेचना चाहते हैं। बिड प्राइस लगभग हमेशा आस्क प्राइस (जिसे ऑफर किया जाता है) से कम होता है। बिड प्राइस और आस्क प्राइस के बीच के अंतर को "स्प्रेड" कहा जाता है।
Option Chain में दिखने वाले मुख्य कॉलमों का निम्नलिखित अर्थ होता है-
- Strike Price: जिस दाम पर Option Trade किया जा सकता है।
- Call Option Data (CE): बाईं ओर कॉल ऑप्शंस का डेटा।
- Put Option Data (PE): दाईं ओर पुट ऑप्शंस का डेटा।
- Open Interest (OI): कितने Contracts अभी तक ओपन हैं।
- Change in OI: OI में कितना बदलाव आया है।
- Volume: कितने Contracts ट्रेड हुए।
- LTP (Last Traded Price): आखिरी प्राइस जिस पर Option ट्रेड हुआ।
NSE Bank Nifty option Chain के डेटा का विश्लेषण कैसे करें?
बैंक निफ्टी की ऑप्शन चैन का डेता विशेष रूप से उपयोगी है क्योंकि यह सबसे लिक्विड ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स में से एक है। इसकी वीकली एक्सपायरी भी उपलब्ध है। बैंक निफ्टी की वीकली एक्सपायरी महीनें के प्रत्येक बुधवार को होती है। और मंथली एक्सपायरी महीनें के आखिरी बृहस्पतिवार को होती है। बैंक निफ्टी ऑप्शन चैन के मुख्य पॉइंट्स निम्नलिखित हैं-
बैंक निफ्टी ऑप्शन चैन श्रृंखला इन-द-मनी और आउट-ऑफ-द-मनी ऑप्शंस की त्वरित तस्वीर देती है। पीले रंग के शेड में इन-द-मनी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स होते हैं। जबकि बिना शेड के सफेद रंग में ओटीएम ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स होते हैं। यदि बैंक निफ्टी की स्पॉट वैल्यू में बदलाव होता है तो इस शेडिंग में भी बदलाव होता है।
ऑप्शन चैन, ट्रेडर्स को प्रत्येक विशिष्ट स्ट्राइक प्राइस और उसकी डेप्थ का मूल्यांकन करने में भी मदद देती है। यह केवल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स के प्रीमियम ही नहीं बताती बल्कि bid-ask प्राइस को भी कैप्चर करती है। ऑप्शन की डेप्थ तब अधिक उपयोगी होता है जब ऑप्शन ट्रेडर्स ओटीएम ऑप्शंस पर विचार कर रहे होते हैं जहां लिक्विडिटी आम तौर पर कम होती है।
जब बैंक निफ्टी में कोई शार्प मूव यानि ब्रेकआउट आने वाला होता है। तो ऑप्शन चैन इसका सबसे पहले संकेत देती है। आप इसे टेस्ट कर सकते हैं, टेस्ट करने पर आप पाएंगे कि ब्रेकआउट से पहले ओपन इंट्रेस्ट और ट्रेडिंग वॉल्यूम न्यू ट्रेंड की तरफ बढ़ जाते हैं।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमेशा एफआईआई और म्यूच्यूअल फंड्स का ज्यादा रुझान एक्टिव इंडेक्स ट्रेडिंग की तरफ होता है। ऐसा इसलिए हटा है क्योंकि ट्रेडर्स अपनी पोजीशन बनाने के लिए ओपन इंट्रेस्ट और ट्रेडिंग वॉल्यूम का टेक्निकल टूल्स के रूप में प्रयोग करते हैं।
ऑप्शन चैन, विशेष रूप से डीप ओटीएम ऑप्शंस के मामले में उपयोगी होती है। जहां पर एक्शन आमतौर पर काफी धीमा होता है। डीप ओटीएम कॉल और पुट में अचानक तेजी आना उस दिशा में ब्रेकआउट का संकेत होता है।
फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिस्ट भी अपने दृष्टिकोण के समर्थन के लिए ऑप्शन चैन डेटा को एक महत्वपूर्ण टूल के रूप में इस्तेमाल करते हैं। उदाहरणस्वरूप यदि को मार्केट एक्सपर्ट किसी शेयर के लिए गेम चेंगिज ट्रिगर की पहचान करता है। तो वह इसकी पुष्टि के लिए डीप ओटीएम कॉल में एक्युमुलेशन के द्वारा इसकी पुष्टि कर सकता है। इससे एनालिस्ट को अपनी कॉल देने के लिए अतिरिक्त आत्मविश्वास मिलता है।
यहां तक कि चार्ट एक्सपर्ट के लिए भी, option chain डेटा, मार्केट ट्रेंड का विचार करने के लिए एक अतिरिक्त सबूत हो सकता है। बैंक निफ्टी ऑप्शन चैन की ही तरह आप अन्य इंडेक्सों और शेयरों की ऑप्शन चैन का उपयोग कर सकते हैं।
निष्कर्ष: Bank Nifty Option Chain को समझना हर ऑप्शन ट्रेडर के लिए जरूरी है। यह आपको बताता है कि मार्केट कहां सपोर्ट ले सकता है और कहां रिजिस्टेंस का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप इसे सही तरीके से पढ़ना सीख गए, तो आप Smart Entry और Exit लेकर लगातार मुनाफा कमा सकते हैं।
👉 याद रखें: Option Chain Analysis कोई जादू की छड़ी नहीं है, बल्कि एक Powerful Tool है जिसे Price Action और Risk Management के साथ मिलाकर इस्तेमाल करना चाहिए।
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