Warren Buffett Indicator: वॉरेन बफेट इंडिकेटर से जाने शेयर मार्केट ओवरबॉट है या ओवरसोल्ड है?

स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने वाले सभी व्यक्तियों के लिए मार्केट वैल्यूएशन को समझना बेहद ज़रूरी है। मार्केट वैल्यूएशन का एक प्रसिद्ध तरीका "वॉरेन बफेट इंडिकेटर" है। इसे "मार्केट कैप-टू-जीडीपी रेशियो" (Market Cap-to-GDP Ratio) के नाम से भी जाना जाता है। 

आइए, इसे विस्तार से समझते हैं- वॉरेन बफेट इंडिकेटर से जाने शेयर मार्केट ओवरबॉट है या ओवरसोल्ड है? Warren Buffett Indicator in hindi.  
                                                                               
Warren Buffett Indicator in hindi

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Worren Buffett Indicator क्या है?

वॉरेन बफेट इंडिकेटर एक सरल लेकिन प्रभावी फाइनेंशियल मेट्रिक है। जिसका उपयोग यह समझने के लिए किया जाता है कि किसी देश का शेयर बाजार ओवरवैल्यूड है या अंडरवैल्यूड है? यह इंडिकेटर देश के कुल शेयर मार्केट की वैल्यू (‘मार्केट कैपिटलाइजेशन’) को देश की कुल आर्थिक उत्पादन (‘ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट’ या GDP) के अनुपात में मापता है।

सूत्र: वॉरेन बफेट इंडिकेटर = (कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन / GDP) × 100

यदि किसी देश के शेयर मार्केट का बफेट इंडिकेटर मूल्यांकन रेश्यो 50% और 75% के बीच आता है, तो उसके Share market को undervalued कहा जा सकता है। इसके अलावा, यदि यह रेश्यो 75% और 90% के बीच आता है, तो मार्केट को फेयर वैल्यू माना जा सकता है। यदि यह 90 और 115% की सीमा के भीतर आता है, तो मार्केट को मामूली रूप से overvalued कहा जा सकता है।

यदि यह अनुपात 100% से अधिक है, तो यह इंगित करता है कि Share market ओवरवैल्यूड हो सकता है। यदि यह 100% से कम है, तो मार्केट अंडरवैल्यूड हो सकता है। ओवरबॉट & ओवरसोल्ड

Worren Buffett ने एक बार इस इंडिकेटर पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि "यह इंडिकेटर किसी समय में मार्केट की वैल्यूएशन को मापने का सबसे अच्छा इंडिकेटर है" यह किसी Stock market में सार्वजनिक रूप से कारोबार किए जाने वाले सभी शेयरों के कुल मूल्य का माप है। जिसे उस अर्थव्यवस्था के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से विभाजित किया जाता है। 

यह रेश्यो देश के कुल उत्पादन के मूल्य के साथ समग्र स्तर पर सभी शेयरों के मूल्य की तुलना करता है। इस गणना का परिणाम जीडीपी का प्रतिशत है, जो शेयर बाजार मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है।

वर्तमान (26-12-2024) नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत का Buffett Indicator लगभग 1.33x पर है। जो भारतीय स्टॉक मार्केट को overvalued दर्शाता देता है। इसकी तुलना में यू.एस. का शेयर मार्केट लगभग 160% पर है, जो उसके हाई ओवरवैल्यूड होने का संकेत है। लेकिन आर्थिक रूप से अधिक मजबूत होने के कारण इसे भारत के मार्केट से अधिक से सुरक्षित माना जाता है। 

फ़िलहाल चीन का बफेट इंडिकेटर 60% के करीब मंडरारहा है। इसका मतलब चीन का शेयर मार्केट इस समय वैल्यू इन्वेस्टिंग के लिए बिलकुल सही प्राइस पर ट्रेड कर रहा है।  मार्केट से पैसे कमाएं?

विश्व बैंक के आँकड़ों के अनुसार, 2000 में, यू.एस. के लिए मार्केट कैप से जीडीपी अनुपात 153% था। जो  उस समय यू. एस.मार्केट के ओवरवैल्यूड होने का संकेत था। इस समय डॉटकॉम बबल के फटने के बाद यू.एस. बाजार में तेज गिरावट होना Warren Buffett Indicator के संकेतों को सही साबित करता है। 

वॉरेन बफेट इंडिकेटर का महत्व निम्नलिखत है-
  • मार्केट वैल्यूएशन: यह संकेत देता है कि किसी देश का स्टॉक मार्केट उसकी इकोनॉमी के आर्थिक फंडामेंटल्स से जुड़ा है या नहीं। हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग
  • इन्फ्लेशन और बबल का जोखिम: यह इन्वेस्टर्स को बताता है कि कहीं बाजार में अति-उत्साह (बबल) तो नहीं है।
  • लॉन्ग-टर्म निवेश निर्णय: Warren Buffett Indicator -लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स को सही समय पर निर्णय लेने में मदद करता है। 
वॉरेन बफेट ने इस इंडिकेटर को सबसे पहले 2001 में चर्चा में लाया था। जब उन्होंने इसे "बाजार वैल्यूएशन का सबसे अच्छा अकेला मापदंड" कहा था। इसके बाद से यह फाइनेंस के क्षेत्र में व्यापक रूप से उपयोग किया जाने लगा।

अमेरिका में वॉरेन बफेट इंडिकेटर का उपयोग:
  • 1999-2000 के डॉट-कॉम बबल के दौरान, यह 150% से अधिक था।
  • COVID-19 महामारी के बाद, यह इंडिकेटर 200% तक पहुंच गया था।

भारत के लिए Warren Buffett Indicator

भारत जैसे उभरते हुए बाजारों (Emerging Markets) में वॉरेन बफेट इंडिकेटर का उपयोग करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। भारत के लिए इस इंडिकेटर की गणना में निम्नलिखित विशेषताएं शामिल हैं-
  • भारत की GDP वर्ष 2023-24 में लगभग 3.73 ट्रिलियन डॉलर थी।
  • वहीं, भारतीय शेयर बाजार (BSE और NSE) का कुल मार्केट कैप लगभग 3.5 ट्रिलियन डॉलर था।
  • इसका अर्थ है कि भारत का वॉरेन बफेट इंडिकेटर लगभग 94% था लेकिन यह पुरानी बात है, अब यह इंडिकेटर भारत की जीडीपी के अनुपात में 150% है। इंट्राडे ट्रेडिंग
  • विकसित देशों के मुकाबले विकाशील देशों के Share markets में GDP ग्रोथ हाई होती है।
  • भारतीय बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) और घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) का बड़ा योगदान है।
  • यदि किसी देश के शेयर मार्केट का केपेटलाइजेशन और उसकी GDP का अनुपात 80-100% के बीच है, तो देश के शेयर बाजार स्थिर माने जा सकते हैं।
  • इस अनुपात के 100% से ऊपर जाने पर शेयर मार्केट पर ओवरवैल्यूएशन का खतरा हो सकता है।

Warren Buffett Indicator के फायदे और सीमाएं 

इस इंडिकेटर के निम्नलिखित फायदे और नुकसान हो सकते हैं-

  1. सरलता: वॉरेन बफेट इंडिकेटर को समझना और लागू करना बहुत आसान है।
  2. बाजार का ओवरऑल व्यू: यह बाजार की समग्र स्थिति का एक त्वरित आकलन प्रदान करता है।
  3. डाटा-संचालित निर्णय: यह निवेशकों को बेहतर और सूचित निर्णय लेने में मदद करता है।

  1. उभरते बाजारों में कम प्रभावी: भारत जैसे देशों में यह हमेशा सटीक परिणाम नहीं देता। 
  2. बाहरी कारक: मुद्रा विनिमय दर, विदेशी निवेश, और सरकारी नीतियों का प्रभाव इसे प्रभावित कर सकता है। 
  3. डायनामिक नेचर: मार्केट की परिस्थितियों के अनुसार इंडिकेटर समय-समय पर बदलता रहता है। बफेट इंडिकेटर के अनुपात के निर्धारण के लिए इसका ट्रेंडिंग डेटा बहुत महत्वपूर्ण होता है।
निष्कर्ष: वॉरेन बफेट इंडिकेटर स्टॉक मार्केट का एक प्रभावी वैल्यूएशन टूल है। हालांकि, इसे किसी भी अन्य टेक्निकल टूल की तरह ही देखना चाहिए। साथ ही इसे देश की विशिष्ट परिस्थितियों और बाहरी कारकों के साथ जोड़कर देखना चाहिए। 

भारत जैसे उभरते शेयर बाजारों में इसका उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से करना चाहिए। longterm investors के लिए यह एक महत्वपूर्ण टूल साबित हो सकता है। बशर्ते इसे अन्य एनालिटिकल एनालिसिस टूल्स के साथ उपयोग किया जाए। शार्ट स्क्वीज़

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